"विज्ञान से सब कुछ संभव है"

"विज्ञान से सब कुछ संभव है"


मुझे पूर्ण विश्वास है कि एक दिन ये ज़रूर संभव होगा जब मनुष्य मृत्यु को भी जीत लेगा और तब ख़ुद को ही भगवान घोषित कर देगा, क्योंकि भगवान की संकल्पना मनुष्य ने गढ़ी है सो मृत्यु पर विजय पाते ही ख़ुद को ख़ुदा घोषित करना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विज्ञान से सब कुछ संभव है...

लेकिन ऐसा भी है, प्रकृति सर्वशक्तिमान है जिससे मनुष्य कभी नहीं जीत सकता। जब चाहे पृथ्वी ही नहीं बल्कि हमारी आकाशगंगा भी कृष्ण विवर (ब्लैकहोल) में समा सकती है फिर तो सब सत्यानाश।

प्राकृतिक आपदा के लिए पृथ्वी कम नहीं है, ऐसे सैंकड़ों प्राकृतिक आपदा से मनुष्य का समूल मिट सकता है, इतिहास में कई मानव सभ्यता के कई बार विनाश होने के साक्ष्य पाए गए हैं। मुझे ये भी यक़ीन है कि कुछ सौ सालों में महाप्रलय या अन्य प्राकृतिक आपदा से हमारी भी सभ्यता का ज़रूर पतन होगा।

लेकिन ग़ौरतलब और गंभीर चिंतन का विषय यह है कि कौन कमबख्त इस अर्थहीन, नीरस और उदासीन ज़िंदगी का भार नित्य उठाना चाहेगा? कौन वह बदनसीब या महामूर्ख होगा जो और ज़्यादा जीने की चेष्टा करेगा। और जी कर क्या करना, ऐसा क्या बहुमूल्य चीज़ हासिल करना जिससे तुम नहीं ऊबोगे??

मैं तो २५ वर्ष में ही इतना ऊब गया हूं इस अर्थहीन और बेतुकी जीवन से की ज़ल्द सदैव के लिए विलुप्त होना या मौत के गोद में सोना चाहता हूं। ज़्यादा जी कर क्या करना? ऐसा क्या पाना जो कभी खोएगा ही नहीं? इंसानी फितरत बहुत परिवर्तनशील है, कुछ समय बाद सबको सबकुछ नया और दूसरा चाहिए होता है।

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